Tuesday, May 1, 2012

ज़िन्दगी तू मुझे ज़रूर याद रखना

चार ताले, कुछ  कुण्डियाँ, और दरवाज़े, 
दस्तक तेरे आँगन पे ठण्ड की रातों में,
नींद तो तुझे भी नहीं आती,
करवटें बदल रही ज़िन्दगी भी मेरी,
रात के सन्नाटे में मुझे पता है वो चार पाई की आवाज़ है,
लालटेन की मद्धम लौ, शीशे पे जमी कोहरे की चादरें,
कुछ याद भी नहीं; कुछ भूला भी नहीं, ठण्ड से ठिठुरती मेरी साँसे,
नीले पड़ते नाखूनों की आह भी मैं सुन सकता  हूँ, 
और उखड्ती हुई चंद साँसे,
शायद अब आगे का सफ़र तय करना है, ज़िन्दगी तू खुश रहना
फिर मिलेगी तो जियेंगे बहूत, ज़िन्दगी तू मुझे ज़रूर याद रखना.....