Wednesday, August 15, 2012

ख्वाइश

तू खुद से भाग रही है, या कुछ और इरादा है
जब भी तुझे छूना चाह एक कदम आगे ही पाया है
अब तक मैं फासले ही तय कर रहा हू,
जब भी सोचा अब  मकाम आया है,
तू हमेशा आगे निकल रही है, या तू खुद से भाग रही है 
कही तो रुकेंगे, सफ़र भी ख़त्म होगा,
तब शायद मैं आगे निकल चूका होंगा,
पीछे रह जाएँगी मेरी यादें, तेरा भी मेरे बाद वजूद ना होगा,
अब तो गले लगा ले ऐ ज़िन्दगी, मैं सोचता हूँ अब तेरे साथ ही रहूँगा,
हर पल तुझे ढूँढने की चाह में अगले पल का सौदा कब तक करूंगा, 
अभी कामयाबी नहीं मिली मुझे मगर ऐसे हमेशा नहीं रहूँगा,
मेरी तमन्नाओ ने मुझे जीना सिखाया है, पर शायद अभी सही वख्त नहीं आया है,
निकलेगा मेरा भी आफताब तेरे फलक पे, चमकेंगे मेरे सितारे गर्दिश के,
पहेले भी तू ही थी जिसने रास्ता दिखाया है, अब भी यही ख्वाइश है,
तू ये बता तू खुद से भाग रही है, या कुछ और इरादा है.