फिर से जीने की कोशिश में बिखरता जा रहा हु मैं,
कुछ खुद को समेटता पीछे देखता चला जा रहा हु मैं
इस आस में की तू एक बार पुकार ले और फिर घर लौट आऊ मैं
तेरे शानो पर सर रख कर ज़िन्दगी को भुला चूका था मैं
सोचा तू है बस तू ही तो है जिसके लिए जी रहा हु मैं
अब तो ज़िन्दगी के मायने ही बदल गए है
अब बस अपने पैरों से धुल उड़ा रहा हु मैं
फिर जीने की एक कोशिश में अपने को भूलने की कोशिश कर रहा हु मैं
अगर हो सके तो फिर मेरा हाथ थाम लेना
कही सच में न बिखर जाऊ मैं
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