Justvish
A silent story
Monday, January 16, 2012
खलिश
खलिश हवा में ही नहीं हर सू
है
जाने ये ज़िन्दगी इस तरह क्यों है
सोचा नहीं था ऐसा होगा
पर आज भी तेरे लिए ही आँखें तरसती है
खलिश ही खलिश है और कुछ नहीं
के ज़िन्दगी भी एक खलिश सी ही है
जाने ज़िन्दगी इस तरह क्यों है
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