कुछ क़र्ज़ है, कुछ आदतें है, थोड़ी ज़िन्दगी है
बहुत फासले है, मेरे और मंजिलों के बीच
चला मैं भी था तेरे साथ मगर, दोनों तनहा ही थे
तू अपने रास्ते मैं अपने रास्ते, दुनिया छोटी है मगर
मिलेंगे दुबारा तो ज़रूर क्युकी ,
कुछ क़र्ज़ है, कुछ आदतें है, और थोड़ी ज़िन्दगी है
No comments:
Post a Comment